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For New Parliament Building — H’nble PM Narendra Modi’s Speech

Amit
Yogeek Inc.
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11 min readJun 5, 2023

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Transcription of the speech in Devanagari

“संसद के नवनिर्मित भवन के प्रेरणा स्रोत एवं मार्गदर्शक और जिन्होंने पूरे विश्व में भारत का सन्मान बढ़ाया है, ऐसे भारत के माननीय प्रधानमंत्री परम श्रद्ध्येय श्री नरेन्द्र मोदी जी को सुनने के लिये हम सभी आतुर हैं। मैं माननीय प्रधानत्री जी से विनम्रता पूर्वक निवेदन करूँगा कि वे इस सभा को अपने विचारों से अनुग्रहित करने की कृपा करें। माननीय प्रधामंत्री जी”

“लोक-सभा के स्पीकर, आदरनीय श्री ॐ बिरला जी, राज्य सभा के उपसभापती श्री हरीवंश जी, माननीय सांसदगण सभी वरिष्ठ जनप्रतिनिधी, विशिष्ट अतिथि …”

“अन्य सभी महानुभाव और मेरे प्यारे देशवासियों! हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो हमेशा के लिये अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं।”

“आज २८ मई २०२३ का ये दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। देश आज़ादी के ७५ वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अमृत महोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद ……”

“के इस नये भवन का उपहार दिया है। आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रर्थना हुई है। मैं सभी देश वासियों को, भारतिय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बहुत बधाई देता हूँ। साथियों ये सिर्फ …”

“एक भवन नहीं है, ये १४० करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। ये विश्व को भारत के दृढ़ समकल्प का संदेश देता हमारे लोक तंत्र का मंदीर है। ये नया संसद भवन …”

“योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छा शक्ति को क्रिया शक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। ये नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्ययम बनेगा।”

“ये नया भवन आत्मनिर्भर बारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा, ये नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धी होते हुए देखेगा। ये नया भवन नूतन और पुरातन के सहास्तित्व का भी आदर्श है।”

“साथियों! नये रास्तों पर चल कर ही नये प्रतिमान गढ़े जाते है। आज नया भारत नये लक्ष्य तय कर रहा है, नये रास्ते गढ़ रहा है। नया जोश है, नया उमंग है, नया सफर है, नई सोच है, दिशा नई है दृष्टी नई है, संकल्प नया है, विश्वास नया है।”

“और आज, आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत को भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारत वासियों की प्रखरता को, भारतीय जनशक्ति की जीजिविशा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है।”

“जब भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का ये नया भवन, भारत के विकास से विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा। साथियों …”

“आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले, संसद की इस नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था।”

“राजा जी और आदिनाम संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदिनाम के संत आज सुबह संसद भवन में हमें आशीर्वाद देने उपस्थित हुए थे। मैं उन्हें पुनः श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।”

“उनके ही मार्गदर्शन में, लोक सभामें ये पवित्र सेंगोल स्थापित हुआ है। पिछले दिनों मीडिया में इसके इतिहास से जुडी बहुत सारी जानकारी उजागर हुई है, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता हूँ, लेकिन मैं मानता हूँ ये हमारा सौभाग्य है कि इस पवित्र सेंगोल को हम उसकी गरिमा लौटा …”

“..लौटा सके है, उसकी मान मर्यादा लौटा सके हैं। जब भी इस संसद भवन में कार्रवाही शुरू होगी ये सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा। साथियों भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्की लोकतंत्र की जननी भी है, मदर ओफ़ डेमोक्रेसी भी है।”

“भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्वस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है। हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के लोकतांत्रिक आदर्श सिखाते हैं। महाभारत जैसे ग्रंथों में ..”

“गणों और गणतंत्रों की व्वस्था का उल्लेख मिलता है। हमने वैशाली जैसे गणतंत्रों को जी कर दिखाया है। हमने भगवान बश्वेश्वर के अनुभव मंडपा को अपना गौरव माना है। तमिलनाडु में मिला ९०० ई० का शिलालेख आज भी हर किसी को हैरान कर देता है। हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है। हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है।”

“इस प्रेरणा, इन संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि अगर कोई है तो ये हमारी संसद है। और ये संसद देश की जिस समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है उसका उद्घोष करती है — क्षेते निपस्य मानस्य चराति चर्त भवः …”

“चरैवैति चरैवैति चरैवैति। कहने का तात्पर्य ये — जो रुक जाता है उसका भाग्य भी रुक जात है लेकिन जो चलता रहता है उसीका भाग्य आगे बढ़ता है बुलन्दियों को छूता है, और इसलिये चलते रहो, चलते रहो। और इसलिये चलते रहो, चलते रहो। ग़ुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खो कर अपनी नई यात्रा शुरू की थी।”

“वो यात्रा कितने ही उतार चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुकी है। आजादी का ये अमृत काल विरासत को सहेजते हुए विकास के नये आयाम गढ़ने का अमृत काल है। आजादी का ये अमृत काल देश को नई दिशा देने का अमृत काल है।”

“आजादी का ये अमृत काल अनन्त सपनों को असङ्ख्य आकाङ्क्षाओं को पूरा करने का अमृत काल है। इस अमृत काल का आवाह्न है, इन अमृत काल का आवाह्न है — मुक्त मातृभूमि को नवीन पान चाहिये, नवीन पर्व के लिये नवीन प्राण चाहिये, मुक्त मुक्त गीत हो रहा… मुक्त मुक्त गीत हो रहा नवीन राग चाहिये।”

“…नवीन पर्व के लिए नवीन प्राण चाहिये। और इसलिये भारत के भविष्य को उज्जव्वल बनाने वाली इस कार्य-स्थली को भी उतना ही नवीन होना चाहिये, आधुनिक होना चाहिये। साथियों एक समय था जब भारत दुनिया के सबसे ..”

“समृद्ध और वैभवशाली राष्ट्रों में गिना जाता था। भारत के नगरों से ले कर महलों तक, भारत के मंदिरों से ले कर मूर्तियों तक भारत का वास्तु भारत की विशेषज्ञता का उद्घोष करता था। सिंधू सभ्यता के नगर नियोजन से ले कर मौर्य कालीन स्थंभों और स्तूपों तक, चोल शाषकों के बनाए भव्य मंदिरों से ले कर जलाशयों और बड़े बांधों तक”

“..तक भारत का कौशल विश्व-भर से आने वाले यात्रियों को हैरान कर देता था। लेकिन सैकड़ों साल की ग़ुलामी ने हमसे हमारा ये गौरव छीन लिया। एक ऐसा भी समय आ गया जब हम दूसरे देशों में हुए निर्माण को देखकर मुग्ध होने लग गए! इक्कीसवीं सदी का नया भारत बुल्लंद हौसले से ..”

“..भरा हुआ भारत अब ग़ुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन कला की उस गौरवशाली धारा को एक बार फिर अपनी तरफ मोड़ रहा है। और संसद की ये नई इमारत इस प्रयास का जीवंत प्रतीक बनी है।”

“आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है वास्तु भी है, इसमें कला भी है कौशल भी है, इसमें संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं। आप देख रहे हैं कि लोक सभा का आम…”

“…आंतरिक हिस्सा, यहाँ भी देखिये, यहाँ भी देखिये, राष्ट्रिय पक्षी मोर पर आधारित है, राज्य सभाका आंतरिक हिस्सा राष्ट्रिय फूल कमल पर आधारित है, और संसद के प्रांगन में हमारा राष्ट्रिय वृक्ष बड़गद भी है। हमारे देश के अलग अलग हिस्सों की जो विविधिता है।”

“…इस नये भवन ने उन सब को समाहित किया है, इसमें राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट, और बलुआ पत्थर लगाए गये हैं। ये जो लकड़ी का काम आप देख रहे हैं न? वो महाराष्ट्र से आई है। यू.पी में बदोही के कारीगरों ने इसके लिए अपने हाँथ से कालीनों को बुना है। एक तरह से इस भवन के कण-कण में हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के …”

“दर्शन। साथियों संसद के पुराने भवन मे सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था ये हम सभी जानते हैं। टेक्नोलोजी से जुड़ी समस्याएँ थी बैठने की जगह से जुड़ी चुनौती थी, इसलिये ही बीते ड़ेढ़ दो दशकों से ये चर्चा लगातार हो रही थी कि देश …”

“को एक नए संसद भवन की आवश्यक्ता है और हमें ये भी देखना होगा, कि आने वाले समय मे सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी, वो लोग कहाँ बैठते? और इसलिये ये समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए। और मुझे खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह”

“लैस है। आप देख रहे हैं कि इस समय भी इस हाल में सूरज का प्रकाश सीधे आरहा है। बिजली कम से कम खर्च हो हर तरफ लेटेस्ट टेक्नोलोजी वाले गैजेट्स हों, इन सभी का इसमें पूरा ध्यान रखा गया है। साथियों आज सुबह ही मैं इस संसद भवन को बनाने वाले श्रमिकों के एक समूह से मिला हूँ, … इस संसद भवन ने करिब ६०,०००”

“…श्रमिकों को रोज़गार देने का भी काम किया है। उन्होंने इस नई इमारत के लिए अपना पसीना बहाया है। मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलेरी भी संसद में बनाई गई है। और विश्व मे शायद ये पहली बार हुआ होगा। संसद के निर्माण मे अब उनका योगदान भी अमर हो गया है। साथियों …”

“..कोई भी एक्सपर्ट अगर पिछले ९ वर्षों का आँकलन करे तो पाएगा कि ये ९ साल भारत में नव निर्माण के रहे हैं, ग़रीब कल्याण के रहे हैं। आज हमें संसद की नई इमारत के निर्माण का गर्व है तो मुझे पिछले ९ साल मे ग़रीबों के ४ क…”

“.. करोड़ घर बनने का भी संतोष है। आज जब हम इस भव्य इमारत को देखकर अपना सर ऊँचा कर रहे हैं तो मुझे पिछले ९ साल मे बने ग्यारह करोड़ सौचालयों का भी संतोष है जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की, उनका सर ऊँचा कर दिया। आज जब हम इस संसद भवन में सुविधाओं की बात कर रहे हैं तो मुझे संतोष है।”

“कि पिछले ९ साल मे हमने गाँवों को जोड़ने के लिए ४ लाख से भी ज्यादा किलोमीटर सड़कों का भी निर्माण किया। आज जब हम इस ईको फ्रैन्ड़ली इमारत को देखकर खुश हैं, तो मुझे संतोष है कि हमने पानी कि एक-एक बूँद बचाने के लिए ५०,००० से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण किया है। आज जब हम इस नए संसद भवन की लोक सभा और राज्य सभा को देखकर …”

“..उत्सव मना रहे हैं , तो मुझे संतोष है कि हमने देश में ३०,००० से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं। यानी पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है, हमारी प्रेरणा एक रही। देश का विकास देश के लोगों का विकास।”

“..साथियों आपको ध्यान होगा, मैने कहा था — १५ अगस्त को लाल किले से मैने कहा था — “यही समय है, सही समय है।” हर देश के इतिहास में ऐसा समय आता है जब देश की चेतना नए सिरे से जागृत होती है। भारत में आज़ादी के २५ साल पहले, 47 से से २५ साल पहले याद
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“..याद कीजिये आज़ादी के २५ साल पहले ऐसा ही समय आया था — गाँधि जी के असहयोग आँदोलन ने पूरे देश को एक विश्वास से भर दिया था गाँधी जी ने स्वराज के संकल्प से हर भरतवासी को जोड़ दिया था। ये वो दौर था जब हर भारतीय आज़ादि के लिये जी जान से जुट गया था। इसका नतीजा हमने …”

“1947 में भारत की आज़ादी के तौर पर देखा। आज़ादी का ये अमृतकाल भी भारत के इतिहास का ऐसा ही पड़ाव है। आज से २५ साल बाद भारत अपनी आज़ादी के १०० वर्ष पूरे करेगा। हमारे पास भी २५ वर्ष का अमृत काल खण्ड है। इन २५ वर्षों में हमे मिल कर…”

“भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। लक्ष्य बड़ा है लक्ष्य कठिन भी है, लेकिन हर देशवासी को आज इसके लिए जी जान से जुटना ही है। नए प्रण लेने है नए संकल्प लेने हैं, नई गति पकड़नी है। और इतिहास गवाह है, कि हम भारतीयों का विश्वास सिर्फ भारत …”

“.. भारत तक ही सीमित नहीं रहता, हमारी आज़ादी की लड़ाई ने दुनियाके बहुत सारे देशों में उस समय एक नई चेतना जागृत कर दी थी। हमारी आज़ादी की लड़ाई से भारत तो आज़ाद हुआ ही, साथ ही कई देश आज़ादी की राह पर चल पड़े। भारत के विश्वास ने दूसरे देशों को, दूसरे देशों के विश्वास को ..”

“..को सहारा दिया था और इसलिए भारत जैसा विविधता से भरा देश, इतनी बड़ी आबादी वाला देश, इतनी सारी चुनौतियों से लड़ने वाला देश, जब एक विश्वास के साथ आगे बढ़ता है तो इससे दुनिया के अनेक देशों को प्रेरणा भी मिलती है। भारत की हर सफलता आने वाले दिनों में दुनिया ,”

“..दुनिया के अलग अलग भूभाग में, अलग अलग देशों की सफलता के रूप में प्रेरणा का कारण बनने वाली है। आज यदि भारत तेजी से गरीबी दूर करता है तो ये कई देशों को गरीबी से बाहर आने की प्रेरणा भी देता है। भारत का विकसित होने का संकल्प कई और देशों का संबल बनेगा। इसलिये भारत की जिम्मेदारी और बड़ी हो जाती है।”

“..और साथियों, सफलता की पहली शर्त, सफलता की पहली शर्त, सफल होने का विश्वास ही होती है। ये नया संसद भवन इस विश्वास को नई बुलंदी देने वाला है। ये विकसित भारत के निर्माण में, हम सभी के लिये नई प्रेरणा बनेगा, ये संसद भवन हर भारतीय के कर्तव्य भाव को जागृत करेगा।”

“..मुझे विश्वास है, इस संसद मे जो जन-प्रतिनिधि बैठेंगे वे नई प्रेरणा के साथ लोकतंत्र को नई दिशा देने का प्रयास करेंगे। हमें नेषन फ़र्ष्ट (Nation First) की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा — इदम् राष्ट्राय, इदम् नमम्। हमें कर्तव्य पथ को सर्वोपरी रखना होगा। कर्तव्य मे ..”

“..एव कर्तव्यम्, अ कर्तव्यम्, न कर्तव्यम्। हमें अपने व्यवहार से उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। यद यदा चरती श्रेष्ठः तत् देव इतरो जनः, हमें निरन्तर खुद मे सुधार करते रहना होगा। उद्धरेत आत्मना आत्मानानम् .. हमें अपने नए रास्ते खुद बनाने होंगे, अप्पदीवो भवः, हमे खुद को खपाना होगा ..तपाना होगा, तप सौहि..”

“..ही परमनास्ती तपसा विन्ध्यते महत। हमे लोक कल्याण को ही अपना जीवन मन्त्र बनाना होगा, लोकहितम् ममकर्णीयम् जब संसद के इस नए भवन में हम अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे तो देशवासियों को भी नई प्रेरणा मिलेगी। साथियों दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र को ये नई संसद एक नई ऊर्जा, और नई मजबूती प्रदान करेगी। हमारे श्रमिकों ने ,”

“..अपने पसीने से इस संसद भवन को इतना भव्य बना दिया है। अब हम सभी सांसदों का दाइत्व है कि इसे अपने समर्पन से और ज्यादा दिव्य बनाएँगे। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी १४० करोड़ भारतीयों का समकल्प ही इस नई संसद की प्राण प्रतिस्ठा है।”

“..यहाँ होने वाला हर निर्णय आने वाली सदियों को सजाने संवारने वाला है, यहाँ होने वाला हर निर्णय आने वाली पीड़ियों को सशक्त करने वाला होगा, यहाँ होने वाला हर निर्णय भारत के ऊज्जवल भविष्य का आधार बनेगा। गरीब, दलित, पिछड़ा, आदिवासी, दिव्यांग, समाज के हर वंछित परिवार के सशक्तीकरण का..”

“..वंचितों को वर्योता का रास्ता यहीं से गुज़रता है। इस नए संसद भवन की हर ईँट, हर दीवार, इसका कण-कण गरीब के कल्याण के लिए समर्पित है। अगले २५ वर्षों में संसद के इस नए भवन मे बनने बाले नए कानून भारत को विकसित भारत बनाएंगे। इस संसद में बन..”

“..बनने वाले कानून भारत को गरीबी से बाहर निकालने मे मदद करेंगे। इस संसद मे बनने वाले कानून देश के युवाओं के लिए, महिलाओं के लिए नए अवसरों का निर्माण करेंगे। मुझे विश्वास है, संसद का ये नया भवन नए भारत के सृजन का आधार बनेगा। एक समृद्ध, सशक्त और विकसित भारत, नीति, न्याय, सत्य, मर्यादा और कर्तव्य पथ पर और सशक्त होकर चलने वाला भारत। मैं समस्त भारतवासियों को”

“..नए संसद भवन की फिर से बहुत बहुत बधाई देता हूँ। धन्यवाद।”

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Technology and Business Consultant | Systems Engineer | Student of Sanskrit literature | MEL-DSS@UBC Vancouver'2018 | Information Technology@DTU(DCE)